कौवा :
कोयल दीदी मुझे बताओ कैसे गीत सुनती हो
भेद भरी क्या बाट है जिसमे जग से आदर पाती हो
क्यो मुझको धुत्कारा जाता
लोग बंध कर लेते कान
मेरे बोल न प्यारे लगते हम दोनों जब एक समान
कोयल :
हम दोनों तन के काले है
बोल नही लेकीन ek समान
बोल तुम्हारा कडुवा लगता
मेरी मधुसी मीठी तान
jus felt like writing this poem....we had it in hindi text in 6th or 7th grade.....my apologies for any mistakes..wrote as i remembered it...n sorry for "ek"...cant seem to get it in hindi....dont know why....
भेद भरी क्या बाट है जिसमे जग से आदर पाती हो
क्यो मुझको धुत्कारा जाता
लोग बंध कर लेते कान
मेरे बोल न प्यारे लगते हम दोनों जब एक समान
कोयल :
हम दोनों तन के काले है
बोल नही लेकीन ek समान
बोल तुम्हारा कडुवा लगता
मेरी मधुसी मीठी तान
jus felt like writing this poem....we had it in hindi text in 6th or 7th grade.....my apologies for any mistakes..wrote as i remembered it...n sorry for "ek"...cant seem to get it in hindi....dont know why....
Comments
...been a while since i've had the chance to got online and check out blogs. but you seem to be doing pretty well here.
so when are you coming over to Baroda??
और न कुछ गीतों में पोल
तुम भी आदर पा सकते हो
बोल सको यदि मीठे बोल